A Simple Key For sidh kunjika Unveiled
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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्
देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नामावलि
न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
It holds the power to provide enlightenment with the contrasting Vitality of Shiva and Shakti and here offers enough energy to knowledge both of those energies concurrently, which, in turn, assists you realize your individual Electrical power.
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।